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इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा में सबसे आगे ये पार्टी, देखें किस दल को कितना मिला पैसा?

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इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा में सबसे आगे ये पार्टी, देखें किस दल को कितना मिला पैसा?
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दे दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से इलेक्टोरल बॉन्ड पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा।
सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुसार 2018 से राजनीतिक दलों को प्राप्त कुल इलेक्टोरल बांड (करोड़ में) इस प्रकार है—

BJP – 6566.12
INC – 1123.31
AITC – 1092.98
BJD – 774
DMK – 616
TRS – 383.65
YSR – 382.65
TDP – 146.6
SHS – 101.38
AAP – 94.28
बता दें कि इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सरकार विकल्प तलाश रही है। चुनावों में कालाधन का इस्तेमाल न हो इसी मकसद से सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर आई थी।

सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की सुविधा बंद होने से आगामी चुनाव में काला धन का बोलबाला बढ़ेगा। इसके अलावा बैंकिंग एक्ट के तहत ग्राहक की पहचान जाहिर करना ग्राहकों के विश्वास को तोड़ने के बराबर होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बैंक को पहचान जाहिर करनी पड़ेगी। हालांकि, तुरंत डोनर की लिस्ट पब्लिश करना आसान नहीं होगा। सरकार के मुताबिक इलेक्टोरल रिफॉर्म की दिशा में इलेक्टोरल बांड एक सकारात्मक कदम है।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि चुनावी बॉण्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बॉण्ड जारी करना बंद कर देगा। उच्चतम न्यायालय का कहना है कि एसबीआई शीर्ष अदालत के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के बाद से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का विवरण निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करेगा। विवरण में प्रत्येक चुनावी बॉण्ड की खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का मूल्य शामिल होगा।

उच्चतम न्यायालय का कहना है कि एसबीआई को छह मार्च तक ये जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया गया है। वहीं, चुनाव आयोग 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी प्रकाशित करेगा। ऐसे में चुनावी बॉण्ड जिनकी वैधता 15 दिन के लिए है, लेकिन जिन्हें राजनीतिक दल ने अभी तक भुनाया नहीं है, उन्हें जारीकर्ता बैंक को वापस कर दिया जाएगा।

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