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आधी रात को नींबू मांगने महिला के घर पहुंचा CISF जवान”बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमकर फटकारा..!

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आधी रात महिला के घर का दरवाजा खटखटा कर नींबू मांग रहा था CISF जवान, कोर्ट ने लिया ये एक्शन..!
आधी रात अकेली महिला के दरवाजे पर नींबू के खटखटाना एक CISF जवान के लिए भारी पड़ गया। बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस हरकत के लिए जवान को कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही कहा कि अकेली महिला के घर पर आधी रात को ऐसे घटिया कारण के लिए जाना बहुत बेतुका है, खासतौर पर जब घर में कोई पुरुष मौजूद नहीं है और वह अकेली है।
हाईकोर्ट ने नींबू मांगने के लिए आधी रात को किसी महिला के घर का दरवाजा खटखटाने को बेतुका और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक जवान के लिए अशोभनीय करार दिया। यही नहीं अदालत ने इस हरकत के लिए कर्मी पर लगाए गए जुर्माने को भी रद्द करने से इनकार कर दिया।
घटना से पहले CISF जवान ने शराब पी थी
इस मामले में CISF कर्मी अरविंद कुमार की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस एम एम सथाये की खंडपीठ ने 11 मार्च के अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता कांस्टेबल ने घटना से पहले शराब पी थी। दरअसल, जवान ने उसके अधिकारियों की तरफ से लगाए गए जुर्माने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह आचरण सीआईएसएफ कर्मी के लिए निश्चित रूप से अशोभनीय है।
नींबू मांगने के लिए आधी रात को खटखटाया था पड़ोसी का दरवाजा
खंडपीठ ने कहा, “पड़ोसी का दरवाज़ा आधी रात को खटखटाना वह भी यह जानते हुए कि घर में कोई पुरुष नहीं है और एक महिला अपनी छह साल की बेटी के साथ रहती है, गलत है। वह भी यह कहना कि पेट खराब है और मेडिकल इमरजेंसी बोलकर नींबू लेने जैसे तुच्छ कारण के लिए, यह कहना ही बेतुका है।” दरअसल, अरविंद कुमार ने दावा किया था कि वह अस्वस्थ महसूस कर रहे थे और केवल नींबू मांगने के लिए पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया था।
जांच में पाया गया कि घटना के अजीबोगरीब तथ्य और परिस्थितियां अनुशासनहीनता और दुर्व्यवहार का संकेत थीं, जिससे सुरक्षा बल की छवि खराब हो रही थी। यह भी पाया गया कि कांस्टेबल ने उस घटना से पहले शराब पी थी।
कोर्ट ने सुनाई यह सजा
सजा के रूप में अरविंद कुमार का वेतन तीन साल के लिए कम कर दिया गया, इस दौरान उन्हें कोई वेतन वृद्धि भी नहीं मिलेगी। कोर्ट ने कहा कि हमारे विचार में अरविंद का इरादा वैसा नहीं पाया गया जैसा कि आरोप लगाया गया है। पीठ ने सीआईएसएफ़ कर्मी की इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि यह घटना दुर्व्यवहार की श्रेणी में नहीं आती क्योंकि वह उस समय वह ड्यूटी पर नहीं थे।

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