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आत्ममुग्ध भाजपा – क्या इतनी बड़ी भूल भूलने योग्य है

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आत्ममुग्ध भाजपा – क्या इतनी बड़ी भूल भूलने योग्य है
नई दिल्ली:-देश के गृहमंत्री रह चुके तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता या यूं कहें कि भाजपा के कर्णधारों में से एक लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न अवार्ड से सम्मानित करने देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू तथा देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके आवास पहुंचे । लालकृष्ण आडवाणी स्वास्थ्य गत कारणों से पुरुस्कार प्राप्त करने स्वयं नहीं पहुंच सके इसलिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उनके आवास गये । लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा की आजीवन सेवा की है इसलिए यह सम्मान उन्हें बहुत पहले मिल जाना चाहिए था । खैर कोई बात नहीं । आखिर उन्हें यह सम्मान दिया गया । इस अवसर की एक फोटो महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा ट्वीटर पर पोस्ट की गई गई है जिसमें देखा जा रहा है कि देश की सर्वोच्च पद पर विराजमान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू लालकृष्ण आडवाणी के एक ओर खड़ी है और दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुर्सी पर बैठे हुए हैं ।

क्या यह मात्र एक भूल है और अगर यह भूल है तो यह भूल कैसे हो सकती है जिस देश में मातृ शक्ति को पूजनीय माना जाता है और जो देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर विराजमान हैं वह एक ओर हाथ बांधे खड़ी है । क्या वाकई इस देश में तानाशाही की शुरुआत हो चुकी है। एक ओर देखा जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय का मीडिया मैनेजमेंट हर क्षण को ऐतिहासिक बनाने पर तुला रहता है और प्रधानमंत्री के हर शब्द, हर क्षण , हर संवाद को अद्भभूत बना कर प्रचारित किया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनेक क्षणो में मातृ शक्ति को नमन किया है ऐसे में देश की प्रथम नागरिक और देश की सर्वोच्च शक्ति को कैसे अनदेखा किया गया । अगर यही दृश्य आज उल्टा अर्थात राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू कुर्सी पर बैठी होती और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खड़े होते तो यह उनकी विनम्रता समझी जाती और वे वाकई प्रशंसा के पात्र होते लेकिन आत्ममुग्ध भाजपा और आत्ममुग्ध प्रधानमंत्री ने इस बड़ी ग़लती को ध्यान ही नहीं दिया है जो बहुत दुखद और तकलीफदेह है ।

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