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आखिरकार कब सुधरेगा सिम्स, मानवता फिर हुई शर्मशार

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आखिरकार कब सुधरेगा सिम्स, मानवता फिर हुई शर्मशार

ब्यूरो रिपोर्ट मोहम्मद रज्जब

बिलासपुर आखिरकार कब सुधरेगा सिम्स फिर हुई सिम्स में मानवता शर्मशार अननोन गर्भवती महिला को कर दिया रेफर शिशु ने पेट मे तोड़ा दम मामले में मुझे कुछ भी जानकारी नहीं है। पता करता हूं। ये कहना है डॉ. केके सहारे, डीन सिम्स बिलासपुर कहने को संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल सिम्स है लेकिन सिम्स के हालात है जो कि सुधरने का नाम ही नही ले रहे बल्कि स्थिति बद से बत्तर होती जा रही है। अभी हाल ही में बिलासपुर मेन्टल हॉस्पिटल सेंदरी से एक अननोन महिला पेसेंट को सिम्स रेफर किया गया था जो कि गर्भावस्था में थी इसके बावजूद भी सिम्स प्रबंधन ने उसे सामान्य वार्ड में भर्ती कर दिया दिनांक 12/8/22 को जब सेंदरी मेन्टल हॉस्पिटल ने महिला को रेफर किया तब से लेकर 1/9/22 तक एक गर्भवती महिला का इलाज सिम्स अस्पताल के सामान्य वार्ड में किया जा रहा था ।

और फिर दिनांक 2/9/22 को अननोन महिला को फिर वापस सिम्स ने सेंदरी मेन्टल अस्पताल भेज दिया लेकिन सेंदरी मेन्टल अस्पताल ने उसे नही लिया जिसके कारण फिर महिला को सिम्स लाया गया और फ़िर उसे उसी वार्ड में भर्ती कर दिया गया जहां 3/9/22 लगभग 4 बजे महिला के गर्भ में पल रहा शिशु मर गया। आखिरकार यहां किसी लापरवाही कही जाए सिम्स या सेंदरी मेंटल अस्पताल की आप खुद सोच सकते है। सिम्स में ज्यादातर मध्यमवर्गीय व गरीब तबके लोग इलाज कराने के पहुंचते हैं।

इलाज व दवा का खर्च नहीं उठा पाने वालों के लिए सरकार ने इसकी फ्री व्यवस्था की है। डॉ सेवाधर्म पर विश्वास रखता है लेकिन सिम्स के डॉ इसके विपरीत है उन्हें अपनी मोटी सैलरी और कामचोरी के अलावा किसी से कोई मतलब नही। इस पूरेमामले में सिम्स पर 3 सवाल उठने लाजमी है 1 जब महिला गर्भवती थी तो उसे गायनो वार्ड में क्यों भर्ती नही किया गया जहां उसकी देख रेख बेहतर तरीके से की जा सकती थी । 2 ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई थी जिसके कारण एक गर्भवती महिला को जो गर्भ से है उसे वापस रेफर करना पड़ा जबकि महिला एक तो अननोन और दूसरी तरफ दिमाकी मरीज है ये जानते हुए भी । 3 महिला के बच्चे की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा सिम्स या सेंदरी मेंटल हॉस्पिटल इन तीनो सवालो के उत्तर सिम्स प्रबंधन को देना होगा। बात यहाँ खत्म नही होती महिला के गर्भ से निकले बच्चे को भी मचुरी में भेजने से पहले डॉ ये भी जानना जरूरी नही समझे कि मरा शिशु लड़का था या लड़की गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार अभी भी शिशु का सव मचुरी में एक तरफ पड़ा हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी के लिए जब सिम्स के अधीक्षक डॉ. नीरज शेंडे से बात की गई तो उन्होंने मामला उनके संज्ञान में नही होनी की बात कहते हुए अपना पल्ला जाड़ लिया । शासकीय हॉस्पिटल की लापरवाही निजी अस्पतालों को पहुंचा रही फायदा गरीबों के इलाज के लिए सिम्स व शासकीय हॉस्पिटलो में सरकार, करोड़ों रुपए का बजट आता है। बावजूद इसके जरूरतमंद मरीजों को शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकारी डॉक्टरों की परेशान करने वाली हरकतों से परेशान होकर मरीजों को निजी हॉस्पिटलों की ओर रुख करना पड़ रहा है। हॉस्पिटल प्रबंधन की मनमानी पर प्रशासन लगाम नहीं कस पा रहा है।

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