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अर्जुनी में खुले शराब भट्टी… आखिर महिलाओं के दृढ़ निश्चय और अटल इरादों के आगे बंद करनी शराब भट्टी… !

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ब्यूरो रिपोर्ट सीता टंडन

अर्जुनी में खुले शराब भट्टी… आखिर महिलाओं के दृढ़ निश्चय और अटल इरादों के आगे बंद करनी शराब भट्टी… !

अकलतरा के अर्जुनी में खुली शराब भट्टी आखिर महिलाओं के दृढ़ निश्चय और अटल इरादों के आगे बंद करनी पड़ी । 82 दिन तक चले आंदोलन के बाद शराब भट्टी को वहां से हटाने की घोषणा सहायक आयुक्त आबकारी दिनकर वासनिक ने कर दी है । इस आंदोलन की सबसे बड़ी विशेषता आंदोलन बड़े शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ जिसमें एक बड़ा हाथ अकलतरा पुलिस का भी रहा है जिसने महिलाओं की हर मूवमेंट पर नजर रखी और आंदोलन में शांति और गरिमा बनाए रखने के लिए प्रेरित किया और यह आंदोलन सफल भी रहा परंतु दुखद कि शराब भट्टी का आंदोलन शांति पूर्ण और गरिमा के साथ निपटने में जिस टी आई का हाथ रहा वह इस आंदोलन के शांति से खत्म हो जाने की सफलता पर खुश होने और अपने उच्च अधिकारी की शाबासी लेने उपस्थित नहीं रहा । उन्हें मुख्यालय संलग्न कर दिया गया था । अकलतरा के पूर्व टी आई के अचानक ही मुख्यालय संलग्न किये जाने पर अकलतरा के जनप्रतिनिधियों से लेकर आम और खास नागरिक पत्रकारों को भी हैरानी हुई और यह कयास लगाया जा रहा था कि शायद उन्हें अकलतरा में हो रहे जुआ और शराब के लिए अचानक ही मुख्यालय संलग्न किया गया है परंतु जिला पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि पूर्व टी आई लखेश केंवट का संलग्नीकरण प्रशासनिक कारणों से किया गया है । अकलतरा में चोरी , शराब का अवैध कारोबार और जुआ आज से नहीं बल्कि लगभग दो दशक से भी ज्यादा समय से चल रहा है और इस पर लगाम लगाना या कम से कम भी नहीं किया जा सका है । इसका सतही कारण पुलिस की लापरवाही , भ्रष्टाचार और शायद सबसे बड़ी वजह पुलिस बल की कमी हो सकती है । अकलतरा ही नहीं बल्कि पूरा पुलिस विभाग अपनी एक तिहाई उर्जा राजनीतिक प्रदर्शनो , विरोधों को रोकने में लगाती है । इसकी आधी उर्जा राजनीति की so called culture वी आई ड्यूटी में खर्च करती है और इन सबसे थकी और उबी पुलिस अपराध रोकने में नहीं बल्कि हो चुके अपराध को हल करने में लगाती है । प्रशासन के सबसे महत्वपूर्ण सहायक अंग पुलिस विभाग के पास अपराध रोकने के लिए नवाचार आजमाने का समय भी नहीं है और ” दिया तले अंधेरा ” की तरह पुलिस विभाग की त्रासदी यह की वह अपनी तकलीफ़ किसी को नहीं सुना सकता है क्योंकि वह यदि सुनाने बैठे तो जनता की कौन सुनेगा और अपनी तकलीफों को लेकर अंदर ही अंदर पीती पुलिस की कभी आत्महत्या की खबर सुनने मिलती है तो कभी उसके भ्रष्टाचार की दास्तान अखबारों में सुर्खियां बटोरते हैं तो कभी अपना गुस्सा आम लोगों पर उतारते दिखाई देते हैं । अकलतरा पुलिस की दास्तान भी इनसे अछूता नहीं है । टीआई लखेश केंवट आने के पहले पांच से छहः टीआई पूर्व अकलतरा के प्रसिद्ध जैन मंदिर में एक सदी पुरानी भगवान पार्श्वनाथ तथा अन्य मूर्तियों की चोरी हुई जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में होगी । यह चोरी माह भर चर्चा का विषय बनी रही । पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद और, अपने सारे पैंतरे आजमाने के बाद भी चोरी और चोर का कोई पता नहीं लगा पाई और आज जैन समाज ने भी उस चोरी को भूला दिया हैं अकलतरा में चोरी यह की घटना नयी नहीं थी परंतु जैन मंदिर में चोरी करने वाला यह चोर स्थानीय चोर नहीं था और सबसे बड़ी बात कि आज तक जितनी भी चोरी स्थानीय चोरों द्वारा की गई है उन चोरो में से किसी को भी पुलिस नहीं पकड़ पाई है । यही कारण है कि अब अवैध शराब पर लगाम नहीं लगा पाने पर अब पुलिस उपहास का पात्र नहीं बनती है क्योंकि यह आसमान से सितारे तोड़कर प्रेमिका के जूडे में लगा देने से भी ज्यादा कठिन वादा हो गया है अकलतरा में अब भी यह खबर हवा में तैरती है कि पूर्व टी आई लखेश केंवट को जुआ और शराब मामले में मुख्यालय संलग्न किया गया है और पामगढ़ टीआई ओमप्रकाश कुर्रे को यहां की अवैध शराब , जुआ और चोरी रोकने लाया गया है । अब देखना शेष है कि वर्तमान अकलतरा टी आई ओमप्रकाश कुर्रे अकलतरा की इस परिपाटी को तोड़ने में कितने कामयाब हो पाते हैं ?

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