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साहित्य समिति ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस मौके पर साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता।

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कवि प्रशांत पारकर के कलम में तेज धार थी
राजिम 10 दिसंबर। नगर के कवि प्रशांत पारकर की गत मंगलवार को निधन होने से कवि समाज को गहरा आघात पहुंचा है। प्रयाग साहित्य समिति ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस मौके पर साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता।उन्होंने गजल से लेकर क्षणिका एवं नई कविताओं पर भी कलम की स्याही बिखेरी। उनकी कविताएं ना सिर्फ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही बल्कि कवि सम्मेलन के माध्यम से लोगों के लिए प्रेरणा का भी काम कर रही है। वरिष्ठ साहित्यकार तुकाराम कंसारी ने बताया कि जीवन में किया हुआ अच्छा कार्य हमेशा याद किया जाता है। पारकर जी ने कविताओं के माध्यम से जीवन की ऊंचाइयों को छुआ है।कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा कि कविता के क्षेत्र में पारकर की मेहनत उनकी पंक्तियों में दिखता है। वह पंडित रविशंकर शुक्ला सद्भाव साहित्य समिति से जुड़ा रहा। सातत्य साहित्य समिति के अलावा सभी कवि एवं साहित्यकारों से उनका मेल मिलाप साहित्य को हमेशा नए कलेवर में प्रस्तुत करते थे। उनके कलम में तेज धार थी। श्री पारकर कवि सम्मेलन मंचों में भी बेबाक प्रस्तुति के लिए जाने जाते थे। युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने बताया कि पारकर जी मंजे हुए रचनाकार थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के कवियों के साथ भी कविता पाठ किया। फोटो स्टूडियो का काम देखने के अलावा कविताओं में उनकी दिलचस्पी न सिर्फ लेखन बल्कि उसे प्रस्तुत करने मे थी। उनके साथ कई बार कवि सम्मेलन मंचों में कविता पाठ किया। वह हमेशा अच्छे साहित्य रचने की बात कहते थे तथा शब्दों की कसावट पर विशेष ध्यान देते थे इसके अलावा व्याकरण के जानकार थे। हास्य कवि गोकुल सेन ने बताया कि प्रशांत पारकर जैसे लोग मिलना मुश्किल है। उनके जाने से राजिम के कवि समाज को गहरा आघात पहुंचा है और उनकी कमी पूरी कर पाना असंभव है। लेखक नूतन साहू ने कहा कि राजिम साहित्य का गढ़ है यहां अनेक कवि एवं साहित्यकार हुए हैं जिनकी रचनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर को भी सुभाषित कर रही है। विष्णु राम जांगड़े ने कहा कि अपने जीवन काल में प्रशांत पारकर ने अनेक प्रशंसनीय कार्य किए हैं। यह समाज के लिए गौरव की बात है। कभी भले ही भगवान को प्यारे हो जाते हैं लेकिन उनकी कविताएं देर सवेर समाज को नई दिशा दिखाने का काम हमेशा करती रहती है। मंच संचालक मनोज सेन ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद किया। व्यंग्यकार संतोष सेन, गोकुल साहू, पिंटू राम साहू, सुधा शर्मा, पुरुषोत्तम चक्रधारी, वीरेंद्र साहू आदि ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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