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Korba news “वनदेवी के प्रति आस्था” मंदिर के बैगा के द्वारा 400 फीट पहाड़ी ऊपर 25 से 30 फीट चट्टान फोड़ निकाला पानी…!

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पाली शशि मोहन कोशला

Korba news “वनदेवी के प्रति आस्था” मंदिर के बैगा के द्वारा 400 फीट पहाड़ी ऊपर 25 से 30 फीट चट्टान फोड़ निकाला पानी…!

कोरबा पाली:-पहाड़ी के ऊपर धरातल से तकरीबन 400 फीट ऊंचाई पर मां वनदेवी चेपारानी का मंदिर लोगो के आस्था का केन्द्र है। यहां हर वर्ष चैत – कुंवार नवरात्र पर्व में मेला लगा रहता है । लोगों की आस्था का ही परिणाम है कि अब यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। आसपास के गांव वालों के द्वारा मंदिर में सेवा करने हेतु पूजा विकास समिति द्वारा माता के दरबार में पहुंचे लोगों का दर्शन पूजन हर साल जोत जवारा, भोजन पानी की व्यवस्था की जाती है और माता के दरबार में आए हुए भक्तों श्रद्धालुओं का ध्यान रखते आ रहे हैं।माता की कृपा दृष्टि एवं आशीर्वाद आसपास रहने वाले ग्रामीणों पर प्रारंभ से ही बनी हुई है। इस विषय पर बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है कि बहुत वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में हैजा जैसी महामारी का प्रकोप काफी संख्या में लोगों को अपनी संक्रमण में ले चुका था । माता चेपा रानी का यह प्रभाव ही था की माता रानी के मंदिर के आसपास स्थित गांव में हैजा के प्रकोप का जरा सा भी प्रभाव किसी भी व्यक्ति पर नहीं पड़ा।

पूर्व में चेपा रानी पहाड़ी से दो कि. मी. नीचे तालाब के पास बाजार लगा करता था। इस दौरान बीमारी ने बाहरी बाजारी लोगो को अपने प्रभाव में जकड़ लिया था । लेकिन उसका प्रभाव चेपा रानी मंदिर केआसपास रहने वाले ग्रामीणों के ऊपर नहीं पड़ा।
तब से और ज्यादा ग्रामीणों का विश्वास एवं आस्था का केंद्र वनदेवी माता चेपारानी पर और अत्यधिक बढ़ गया है।यहां से जुड़े बैगा की अद्भुत कहानी चेपा खुररूपारा में एक बैगा हीरा सिंह मरावी पिता. चितर सिंह, थे । जो गांव के बैगा के साथ-साथ माता वनदेवी चेपा रानी के बहुत बड़े भक्त थे एवं मंदिर की पूजा उपासना इन्हीं के द्वारा किया जाता था। समय गुजरता गया समय के साथ पहाड़ी पर दूर-दूर से माता चेपा रानी के दर्शन व पूजन के लिए आने वाले भक्तों को पानी की समस्या शुरू होने लग गई थी। लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या भी विकराल रूप ले चुकी थी।यह सब स्थिति देखते हुए 55 वर्षीय हीरा सिंह ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए संकल्प कर लिया एवं प्रतिदिन सुबह पहाड़ी के ऊपर जाकर माता वनदेवी चेपा रानी मंदिर के सामने कुआं कोड़ने के लिए फौलादी जैसे चट्टानों को तोड़ना शुरू किया।

अनेकों वर्ष बीत गए आखिरकार माता चेपा रानी की कृपा से उनकी यह कठोर साधना सफलीभूत हुई ।और चट्टानों के बीच निर्मल जल लबालब भर गया। मन में बसे माता श्रद्धा भक्ति से लगभग 95 साल की उम्र में आखिरकार जलदेवी का आगमन करा ही दिया। यह भक्त लगभग सौ वर्ष तक जीवित रहे । हीरा सिंह के 3 पुत्र 3 पुत्री हैं।। उन्हें घर की भी जवाबदारी थी। अपने जीवित रहते हुए काफी संघर्ष एवं मेहनत कर दुर्गम पहाड़ी के ऊपर नित्य प्रति दिन मेहनत कर भारी मात्रा में अपने एकल बाहुबल से चट्टानों को तोड़कर कुंड खोदकर पानी निकाल लिया।

यह असंभव और चमत्कारिक कार्य का परिणाम आज भी चेपा रानी के पहाड़ी पर जाकर के प्रत्यक्ष कुंड के रूप में देखा जा सकता है। अब तो उसी कुंड के पानी से लोगों का निस्तार हो रहा है। एवं अगले वर्ष चैत कुंवार नवरात्र पर्व में मंदिर में जले ज्योत जवारा का पहाड़ी ऊपर बने इसी कुंड में विसर्जन किया गया।

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