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मातृ शिशु के टीकाकरण केंद्र में नर्स मर्जी की मालिक, इन की दया पर लगता है जीवन रक्षक टीका

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मातृ शिशु के टीकाकरण केंद्र में नर्स मर्जी की मालिक, इन की दया पर लगता है जीवन रक्षक टीका

ब्यूरो रिपोर्ट मोहम्मद रज्जाक
बिलासपुर – नवजात शिशु को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए भारत सरकार गंभीरता से टीकाकरण के कार्यक्रम चलाती है किंतु बिलासपुर के मातृ शिशु भवन में तीसरी मंजिल पर स्थित टीकाकरण केंद्र सरकार की इस योजना को फ्लॉप करने पर उतारू है। डिजिटल युग में भी इनके कोई कार्यक्रम निश्चित नहीं है।माताएं अपने बच्चों को लेकर कई किलोमीटर दूर से आती है पर इस कक्ष का कोई टाइम टेबल नहीं है उल्टे सब कुछ ड्यूटी पर तैनात नर्स की मर्जी से चलता है। 13 सितंबर को ड्यूटी पर उपस्थित नर्स ने 4 माताओं को यह कहकर लौटा दिया कि आज यह टीका नहीं लगेगा कब लगेगा के प्रश्न पर उनका कहना होता है बाद में आना बताएंगे. …. क्या यह उचित नहीं होता कि यदि एमआर के टीके संख्या के आधार पर लगते हैं तो बाहर सूचना ही लिख दी जाए कि अमुक टीका सप्ताह के इस निर्धारित दिन में लगाया जाएगा और समय भी लिख दिया जाए इससे अधिकतम संख्या में माताएं निश्चित तिथि को ही आएँगे। इससे उलट नर्सों ने टीकाकरण को कमाई का जरिया बना लिया है।निश्चित ही दूर से आई हुई माता दोबारा आना नहीं चाहेगी और वह नर्स को निवेदन करके हाथ में कुछ पैसा पकड़ा कर टीका लगवाना चाहेगी इस खेल को टीकाकरण कक्ष में उपस्थित या ड्यूटी देने वाली नर्स खूब समझती हैं। वह आने वाले माताओं को बेहद बदतमीजी के साथ व्यवहार करती है। इसके अलावा टीकाकरण केंद्र की ड्यूटी करने वाली नर्स बाबूलंद आवाज में बताती है कि हम किसी अधिकारी से नहीं डरते यहां तक कि कौन सा टीका कब लगेगा यह कार्यक्रम अधिकारी नहीं हम तय करते हैं ऐसे में जिस किसी को अपने बच्चे को सुरक्षित जीवन देना हो वह इन नर्स की दया दृष्टि में रहे और दया दृष्टि प्राप्त करने का तरीका आरबीआई के धारक सिंह के साथ जुड़ा है जब हाथ में धारक सिंह दिया जाता है तभी व्यवहार सम्मानजनक होता है। ऐसा लगता है कि 50 से ₹60000 प्रति माह निश्चित वेतन, एचआर, डीए, टीए सब लेने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग का यह हमला अब अपने दैनिक काम के एवज में भी मरीजों से पैसा चाहता है। यदि अधिकारियों ने केवल पर्दे बदलने पर ही ध्यान दिया और व्यवहार नहीं बदला तो सरकार का जाना तय है।

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