अधिनियम में अभी अध्यक्ष बनने के लिए पात्रता आयु 25 वर्ष या उससे अधिक है निर्धारित
भोपाल:- मध्य प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव परोक्ष प्रणाली से कराए जा रहे हैं। इसमें पार्षदों में से अध्यक्ष चुना जाना है। पार्षद पद के लिए पात्रता आयु 21 साल निर्धारित है, जबकि अध्यक्ष के लिए यह आयु 25 या इससे अधिक वर्ष तय है। इस प्रविधान के कारण 21 वर्ष की आयु में पार्षद बनने वाला युवा अध्यक्ष नहीं बन सकता है। चूंकि, अब परोक्ष प्रणाली से अध्यक्ष का चुनाव होना है, इसलिए सरकार मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 में संशोधन करने जा रही है।
इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अध्यादेश का प्रारूप तैयार करके प्रशासकीय स्वीकृति के लिए विभागीय मंत्री भूपेन्द्र सिंह को भेज दिया है। इसके बाद इसे विधि एवं विधायी विभाग से परिमार्जित कराकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुमोदन से राज्यपाल मंगुभाई पटेल को भेजा जाएगा। प्रदेश में इस बार नगरीय निकाय के चुनाव प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रणालियों से कराए जा रहे हैं। महापौर का चुनाव सीधे जनता के माध्यम से होगा तो नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों में से होगा।
इसलिए पड़ी संशोधन की जरूरत
दरअसल, वर्ष 2019 में तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने नगरीय निकायों के चुनाव परोक्ष प्रणाली से कराने के लिए नगर पालिक व नगर पालिका विधि अधिनियम में संशोधन किया था। इसके अनुसार बनाए गए नियमों में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष की पात्रता आयु 25 वर्ष को घटाकर 21 वर्ष करने के लिए जो संशोधन होना था, वह नहीं हुआ। वर्तमान प्रविधान के अनुसार 21 वर्ष की आयु में पार्षद बनने वाला युवा अध्यक्ष नहीं बन सकता है, मौजूदा कानून में वह अपात्र है। इससे न्यायालयीन मामले बन सकते हैं और समस्या भी आ सकती है।
ऐसे पकड़ में आई चूक
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के लिए नगर पालिक विधि अधिनियम में अध्यादेश लाकर संशोधन किया है। 25 जुलाई से प्रारंभ हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में अध्यादेश के स्थान पर संशोधन विधेयक लाया जाना है। इसकी तैयारी के दौरान अध्यक्ष की पात्रता आयु में सुधार न किए जाने की चूक पकड़ में आई। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नियम 2019 में बनाए गए थे। तब ही इसमें संशोधन हो जाना था, क्योंकि अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के बीच से होना है।
अब नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और 18 जुलाई को यह पूरी हो जाएगी। इसके बाद कलेक्टर निर्वाचित पार्षदों का सम्मेलन बुलाएंगे, जिसमें अध्यक्ष का चुनाव होगा। इसमें कोई परेशानी न हो, इसके लिए अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम की धारा 34 (अध्यक्ष या पार्षद के रूप में निर्वाचन की अर्हता) और धारा 35 (अभ्यर्थियों की निरर्हताएं) में संशोधन किया जाएगा। उधर, विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि सामान्य स्थिति में विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के बाद अध्यादेश नहीं लाए जाते हैं, लेकिन विशेष परिस्थिति में ऐसा किया जा सकता है।
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