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कैका मुठभेड़ पर परिजनों का आरोप,,, मुठभेड़ के नाम पर जवानों ने हत्या को दिया अंजाम,,, तेरह महीने पहले रितेश ने छोड़ा था संगठन,,, खेती बाड़ी संभालते बुजुर्ग मामा-मामी की कर रहा था देखभाल,,,,

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कैका मुठभेड़ पर परिजनों का आरोप,,, मुठभेड़ के नाम पर जवानों ने हत्या को दिया अंजाम,,, तेरह महीने पहले रितेश ने छोड़ा था संगठन,,, खेती बाड़ी संभालते बुजुर्ग मामा-मामी की कर रहा था देखभाल,,,,

बीजापुर। जिले में सुरक्षा बल और माओवादियों के बीच मुठभेड़ के बाद जवानों पर आरोप-प्रत्यारोप का पुराना नाता रहा है, जब-जब मुठभेड़ हुए हैं, तब-तब जवानों की कार्रवाई को लेकर फर्जी मुठभेड़ और मुठभेड़ के बहाने हत्याओं जैसे आरोप लगते रहे हैं। शुक्रवार की सुबह नैमड़ थाना क्षेत्र के कैका में हुए एक मुठभेड़ में जवानों ने तीन लाख के इनामी नक्सली को मार गिराने का बड़ा दावा किया है, घटना स्थल से शव के साथ हथियार और अन्य सामग्री बरामद की गई है।

मुठभेड़ के कुछ देर बाद ही ग्रामीण और परिजनों ने इस मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए जवानों पर गंभीर आरोप लगा दिए हैं। हालांकि परिजन और ग्रामीण इस चीज को भी मान रहे हैं कि मृतक पूर्व नक्सली रहा है, परंतु वह संगठन छोड़कर घर वापस आ गया था, बावजूद उसे घर से उठाकर ले जाने के बाद कैका की पहाड़ियों के पास उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई और उसे मुठभेड़ का नाम दे दिया गया।
शुक्रवार की सुबह एक मुठभेड़ में पुलिस जवानों ने सेण्डरा इलाके के नक्सल संगठन के एसीएम रीतेष पुनेम को मार गिराने का दावा किया, परंतु इस मामले में कुछ देर बाद ही ग्रामीण और परिजनों ने मीडिया को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरीके से फर्जी है। पत्रकारों की टीम जब मोसला पहुंची तो वहां इस घटना को लेकर स्वयं को चष्मदीद बताते हुए सन्नु कोरसा, अवलम बुधरी और कोरसा मंगु ने बताया कि सुबह तकरीबन पांच बजे जवानों की टीम गांव पहुंची थी और पूरे मोसला गांव को घेर लिया था। इसी दौरान रीतेश पुनेम के साथ-साथ इन तीनों को जवानों ने पकड़ लिया और कुछ देर बाद जवानों ने सन्नू, बुधरी और मंगु को छोड़कर रीतेष पुनेम को अपने साथ कैका की ओर ले गए और तकरीबन साढ़े 7 बजे फायरिंग की आवाज सुनाई दी और बाद में पता चला कि मुठभेड़ का नाम देकर जवानो ने रीतेश पुनेम की गोली मारकर हत्या कर दी है।

इस घटना में मारे गए रीतेष पुनेम के किकलेर निवासी भाई बिज्जा पुनेम ने बताया कि मृतक रीतेश पुनेम 2007 से नक्सलियों के साथ चला गया था और लगातार तकरीबन 13 सालों तक नक्सल संगठन में रहकर काम कर रहा था, परंतु परिवार के दबाव के चलते उसने संगठन और हथियार को त्याग कर 2021 में घर वापसी कर ली थी और मोसला में वे अपने मामा-मामी, बुधरू हेमला और लखमी हेमला के साथ रहकर उनका पालन पोषण कर रहा था, परंतु कल गांव पहुंचे पुलिस जवानों ने उसे पहले घर से उठाया और बाद में मुठभेड़ का नाम देकर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। बिज्जा पुनेम का कहना है कि अगर जवानों ने उसे गिरफतार कर लिया था तो नियमतः उसे जेल भेज देना चाहिए था, निहत्थे व्यक्ति की हत्या कर जवानों ने एक बुजुर्ग के सहारे को छीन लिया है और वा ेअब इस पूरे मामले में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों और परिजनों के आरोपों पर एसपी कमलोचन कष्यप का कहना है कि नक्सलियों के ईषारे पर ग्रामीण जवानों की कार्रवाई पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, मारे गए नक्सली पर नेषनल पार्क समेत अलग-अलग थान क्षेत्रों में जवानों पर हमला, लूट, आगजनी और हत्या समेत कई आपराधिक मामले पंजीबद्ध है, जिसका रिकॉर्ड पुलिस के पास मौजूद है और वह तीन लाख का ईनामी नक्सली था, जवानों ने उसे समर्पण करने को कहा था , परंतु उस तरफ से फायरिंग के बाद जवानों की जबावी कार्रवाई में नक्सली मारा गया और एक जवान भी मुठभेड़ में घायल है, इसलिए तमाम आरोप बेबुनियाद और कहानी मनगढंत है।

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