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बसंत पंचमी का महत्व,,,, शेषाचार्य जी महाराज,,, देखें पूरी खबर

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बसंत पंचमी का महत्व,,,,,
शेषाचार्य जी महाराज,,,,देखें पूरी खबर

वृंदावन धाम:-वसंत पंचमी हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार वसंत पंचमी माघ मास की पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी का त्यौहार पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश और नेपाल सहित कई देशों में हर्सोल्लास के साथ मनाई जाती है।

खिल उठती है प्रकृति ऋतुओं में सबसे अधिक मनमोहक वसंत ऋतु ही होता है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति खिल उठती है। साथ ही पशु-पक्षी भी वसंत के आगमन के साथ उल्लास से भर जाते हैं। माघ मास की पंचमी को मनाई जाने वाली वसंत पंचमी आम जनजीवन को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करता है।

प्राचीन काल से ही वसंत पंचमी को ज्ञान और काला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जिन्हें भी भारतीयता और शिक्षा से प्रेम है, वे इस दिन माता सरस्वती की पूजा-आराधना कर और अधिक ज्ञानवन होने की कामना करते हैं।

कवि, लेखक, कलाकार, गायक सभी इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं। माता सरस्वती को संगीत की उत्पत्ति की देवी भी कहा जाता है। शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के अन्य नाम से भी जाना जाता है। वसंत पंचमी में फूलों में बहार आ जाती है, खेतों में फसल लहलहाते नजर आते हैं। गेहूं और जौ की बालियाँ खिलने लगती है। आम के पेड़ों में मंजर आ जाते हैं। सरसों के पीले-पीले फूल चहूं ओर दिखने लगते हैं। इतना ही नहीं मौसम भी इस समय सुहाना लगने लगता है।

पौराणिक महत्व पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि की रचना की तब उस समय वातावरण में नीरसता, उदासी थी। ऐसा लग रहा था मनो किसी की वाणी नहीं है, सभी मूक हैं। भगवान विष्णु को यह देखकर अच्छा नहीं लगा, उनहोंने अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का।

जल-कणों के छिड़कते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई, जो अपने दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी। साथ ही इस देवी के हाथों में पुस्तक और मोती की माला थी। इस देवी ने भी समस्त प्राणियों को वाणी (बोलने की शक्ति) प्रदान की। जिसके बाद से ही इस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या और बुद्धि की अधिष्ठात्री हैं, इसलिए इन्हें विद्यादायनी भी कहा जाता है। यही कारण है कि वसंत पंचमी के दिन घर-घर में माता सरस्वती की पूजा होती है। इतना ही नहीं शायद यही कारण है कि इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

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