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कोरबा RTO का नया कारनामा,,, वाहन स्वामी के मरने के बाद मृत वाहन स्वामी के आवेदन पर किया नाम ट्रांसफर

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कोरबा RTO का नया कारनामा,,, वाहन स्वामी के मरने के बाद मृत वाहन स्वामी के आवेदन पर किया नाम ट्रांसफर

(संवाददाता भुपेंद्र देवांगन)

परिवहन विभाग कोरबा के लिए जैसे नियम कानून एजेंट के चेहरे देख कर बनाये और मिटाए जाते है एजेंट जैसा चढ़ावा देगा उतनी ही आसानी से उसका काम होगा ताज़ा मामला कार्यकर्ता जितेंद्र साहू ने वाहन क्रमांक CG12AT7554 की जानकारी के लिए परिवहन विभाग कोरबा में आवेदन लगाया था जिसका नामांतरण नवंबर 2021 हुआ था पर विभाग द्वारा आवेदन के उत्तर में यह भेजा गया कि फ़ाइल नही मिल रहा है महज 3 माह होने पर ही फाइल गायब हो सकती है यह बात किसी झोलमल का इशारा कर रहा, पत्र के उत्तर में वाहन की विस्तृत जानकारी श्री साहू ने अपने स्वयं से एकत्रित करना प्रारंभ किया तो कई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई।
वाहन स्वामी अजय साहू निवासी कुली, खमरिया की मृत्यु 17/05/2019 को जयराम नगर में मोटरसाइकिल दुर्घटना में हो चुकी थी और वाहन के नामांतरण की प्रक्रियाओं में मृत्य वाहन स्वामी अजय साहू के हस्ताक्षर से पूर्ण हुआ है ये कैसे संभव है कि मृत व्यक्ति फॉर्म में हस्ताक्षर कर सकता है।

अजय साहू की बेवा ने लगाया ऑटो डीलर साहिल श्रॉफ पर धोखा धड़ी कर वाहन की बिक्री का आरोप फाइनेंस कंपनी ने अपना ऋण माफ् कर दिया गाँव के एक रसूखदार ने गाड़ी को षड्यंत्र पूर्वक ऑटो डीलर साहिल श्रॉफ पास बेंच दिया जिसमें मृतक के परिवार की सहमति नही थी । साहिल श्रॉफ ने कोरबा के rto एजेंट पन्ना साहू के साथ मिलकर नामांतरण की प्रक्रिया चालू की।
कोरबा rto एजेंट पन्ना साहू ने विभाग के बाबू मनीष काम्बले, गीता ठाकुर और सभी संबंधित अधिकारियों से मिलिभगत कर वाहन स्वामी एवं खरीददार की अनुपस्थिति में इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसमें विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है मृतक के हस्ताक्षर एजेंट पन्ना साहू कर रहा था और क्रेता जो कि मध्यप्रदेश के शहडोल का रहने वाला है तो उसके निवास के जगह अपने घर का पता दिया rc आसानी से प्राप्त हो सके।

नियमों को ताक पर रख कर किया गया नामांतरण वाहन स्वामी के मृत्यु के बाद प्रथम वारिस माता, पिता या पति, पत्नी के नाम से होना था इसलिए नियमों को ताक मे रख कर मृतक के बाद सीधे अन्य व्यक्ति के नाम से किया गया।
मृत्यूं के 30 माह बीत जाने के बाद भी rto की मिलिभगत से विभाग को लगभग 15000 रुपयों के राजस्व का भी नुकसान पहुँचाया और क्रेता को 15000 का लाभ पहुँचा।

शिकायतकर्ता ने सभी वरीय अधिकारियों से जांच कर सख्त कार्यवाही की मांग की है परिवहन अधिकारी किस तरह इस मामले को लेते है ये अभी देखना बाकी है।

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