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पढ़ई तुंहर दुआर में सफलता की कहानी

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पढ़ई तुंहर दुआर में सफलता की कहानी
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एक शिक्षक ने कोरोना काल रहते हुए भी अपने स्कूल के छात्रों को मोहल्ला क्लास लगाकर कैसी शिक्षा दी जाने खबर –

शिक्षक की सफलता की कहानी बलदाऊ सिंह श्याम
शा.प्रा.शाला,संकुल-पोंड़ी विकास खण्ड ,जिला-बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

रतनपुर,कोटा से हरीश माड़वा की ख़ास ख़बर

कोटा,पोंड़ी– कोविड-19 के कारण पिछले दो वर्ष से स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित है .कोरोना काल हमारे लिए कई चुनौती लेकर आया,ह में इन चुनौतियों से नई सीख मिली । कोरोना महामारी के कारण सत्र 2019-20 मार्च में ही स्कूल बंद कर दिया गया।तब मैंने बच्चों के पढाई बाधित देख, अपने निवास स्थान के आसपास रहने वाले बच्चों को,अपने घर मे ही पढ़ाना जारी रखा।
इसके बाद स्कूल खुलने की स्थिति न देख शासन के द्वारा कई वैकल्पिक व्यवस्था सुझाये गए, मैंने ऑनलाइन से बच्चों को जोड़ने का प्रयास किया,जिन बच्चों के पास मोबाइल की सुविधा नही थी,उन्हें अपने व्यवस्था से मोबाइल उपलब्ध कराया।शिक्षक ने इसके बाद भी छोटे बच्चों को लाभ न देख, मोहल्ला कक्षा को एक विकल्प के रूप में चुना ।जनप्रतिनिधियों से सहमति लेकर, पालको के घर-घर जाकर बच्चों को जोड़ा और गाँव के पढ़े लिखे लोगों को समय निकाल कर इस संकट के समय पढ़ाने में स्वेच्छा से सहयोग देने के लिए प्रेरित किया ।
मोहल्ला कक्षा को रुचिकर बनाने के लिए रोजगार मूलक कार्य जैसे दर्जी, बढ़ाई,कुम्हार लोहार,राजमिस्त्री, ईटा बनाने, बॉस से टुकना चुरकी बनाने , पत्ते से दोना पतरी बनाने वाले स्थानीय लोगों को सप्ताह में एक दिन समय निकाल कर बच्चों को सिखाने के लिए आमंत्रित किया। गाँव के बड़े बुजुर्गों को उनके अनुभव जैसे किस्से,कहानी स्थानीय बोली में गीत, भाषा विकास को बढ़ावा देने के लिए अपने मुहल्ला कक्षा में बुलाकर बच्चों के जुड़ाव के लिए पढाई के साथ साथ नित नए प्रयोग किया। इससे समुदाय स्कूल से जुड़ने लगे और हर सम्भव सहयोग देने के लिए सहमति दिए। और अपने बच्चे को प्रतिदिन मुहल्ला कक्षा भेजते है। मोहल्ला कक्षा में पाठ्यपुस्तक पढ़ने,कक्षा की कोई पाबंदी नही है । बच्चे बहू कक्षा ,बहु शिक्षा के रूप में अपने स्तर अनुरूप एक साथ बैठ कर पड़ते है। मोहल्ला कक्षा बच्चों के घर के आसपास होने के कारण माता -पिता ,भाई- बहन को देखकर दबाव महसूस नही करते,जब चाहे तब घर से खाना भी खाकर आ जाते है ।अपने छोटे भाई ,बहनों को भी साथ मे ले आते है मन प्रसन्न व भयमुक्त वातावरण महसूस करते है और पढ़ने में रुचि लेते है ।कक्षा में TLM निर्माण,खिलौने निर्माण बच्चों के सहभागिता से बनाकर उनके रुचिनुसार नवाचार गतिविधि से पढ़ाया जाता है।बच्चों को होमवर्क के रूप में प्रतिदिन कुछ घर से बनाकर लाने के लिए वर्कदिया जाता है और चेक भी किया जाता है।जिसके बदौलत, आज मेरे स्कूल के सभी बच्चे, कक्षा स्तर के अनुरूप है। जिन बच्चों की तारीफ छत्तीसगढ़ शिक्षा संचालक श्री जितेंद्र शुक्ला सर व बिलासपुर सम्भागीय संचालक चौहान सर अपने निरीक्षण के दौरान कर चुके है।प्रतिवर्ष हमारे शाला से प्रतियोगी परीक्षा जैसे -नवोदय, एकलव्य जवाहर उत्कर्ष में बच्चों का चयन होता है, पिछले सत्र “पढई तुंहर दुआर” सी.जी .पोर्टल में मुझे व छात्र विमल सिंह गोंड़ को नायक बनने का गौरव प्राप्त हुआ।इस सत्र मुहल्ला कक्षा 18 जून से चल रहा है ।
ये है मुहल्ला कक्षा तिलकडीह की सफलता की कहानी

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