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गरीब बच्चों में गुड टच और बैड टच की जागरूकता फैल रही है अंकिता

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मजबूत इच्छाशक्ति के बलबूते अकेले ही इस बड़ी मुहिम को छेड़ रखा है इस युवती ने

बिलासपुर सवितर्क न्यूज राकेश खरे

गृहस्थी के बीच समय निकालकर दूर के गांव में जाकर मासूम बच्चों को कर रही जागरूक

युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकीं हैं अंकिता पाण्डेय

पुरानी कहावत तो शायद सभी ने सुनी होगी कि हिम्मते मर्दा तो मद्दे खुदा ,,

यानी अगर इंसान किसी काम को सच्चे दिल से करना चाहे तो ईश्वर भी उसकी मदद करने में लग जाता है।

ऐसा ही करने वाली अंकिता पाण्डेय शुक्ला के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

मजबूत इच्छाशक्ति के बलबूते वे और उनकी टीम सैकड़ों मासूम बच्चों की जिन्दगी व उनके बचपन को बचाने का काम कर रही है।

शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण और दूरस्थ अंचल में जाकर उन गरीब बच्चों को गुड टच और बैड टच के सम्बन्ध में जागरूक कर रहे हैं जो कि शायद इसके बारे में भी नहीं जानते और इसके शिकार हो जाते हैं।ऐसे मासूम बच्चों के पास जाकर अंकिता और इनकी टीम बाल और यौन अपराधों से बचने व इसे पहचानने की शिक्षा दे रहीं हैं

.युवा वर्ग ले रहा है इनसे प्रेरणा-

अंकिता बताती हैं कि, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जरूरतमंदों की सहायता करो, बच्चों को पोषण आहार दो, कपड़े दो, जैसे कार्य अक्सर ही लोग करते रहते हैं। लेकिन, समाज में बढ़ रहे बाल अपराध और यौन शोषण के खिलाफ बहुत कम लोग ही हैं जो कार्य कर रहे हैं।कई बार ऐसा होता है कि, कुछ मासूम बच्चे ऐसे होते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनका यौन शोषण हो रहा है।

जागरूकता के अभाव में बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। आज के समय में सिर्फ लड़की ही नहीं, बल्कि मासूम लड़के भी इसका शिकार हो रहे हैं।

अंकिता व उनकी अपनी टीम मिलकर मार्मिक चेतना नाम से एक संस्था भी चला रहे हैं जो शहर के अलावा दूर ग्रामीण अंचलों के बच्चों को बाल अपराध की शिक्षा दे रहे हैं। कुछ ही समय के भीतर सैकड़ों स्कूलों, आंगनबड़ियों में जाकर सैकड़ों मासूम बच्चों को बाल और यौन अपराधों से बचने के लिए जागरूक कर उनके बचपन को बचाने व संवारने का काम अंकिता व उनकी टीम कर रही है। इस तरह करती हैं कामअंकिता हर सप्ताह झुग्गी क्षेत्र में जाकर वहाँ के स्कूलों में, आंगनबाड़ी केन्द्रों में, गली-मोहल्लों में मिलने वाले 3 साल से 14 तक के बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी देती हैं।

इसके अलावा पोस्टर व चार्ट के माध्यम से बच्चों को बाल अपराध की बातें बताती हैं

माता-पिता, बहन व पति करते हैं पूरा सपोर्ट-इस सरहनीय कार्य को करते समय अंकिता को कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन उनके बुलंद हौसलों के अलावा उनकी माता सूर्यकांता, पिता भचेंद्र पाण्डेय, बहन अजिता पाण्डेय और पति अनुभव शुक्ला के द्वारा उन्हें लगातार प्रेरित करने का काम किया जा रहा है। परिवार हर विपरीत परिस्थिति में उनके साथ खड़ा रहता है।

इसके अलावा उनके ससुरालवाले और उनकी टीम में शामिल नीरज गेमनानी, नेहा तिवारी, प्रकाश झा व अन्य लोग उनका हर कदम में साथ देते हैं।

फील्ड वर्क से मिली प्रेरणा-

अंकिता की माने तो जब वे एमएसडब्ल्यू की पढ़ाई कर रहीं थीं, तब उन्हें फील्ड वर्क के लिए कोनी क्षेत्र के रमतला गाँव में ले जाया गया था. वहां करीब 200 बच्चे को नशामुक्ति के लिए जागरूक किया गया। जिसके बाद उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि नशामुक्ति के अलावा बच्चों को यौन शोषण जैसे अपराधों के प्रति भी जागरूक करने की भी जरूरत है ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता-

अंकिता बताती हैं कि, शहर में तरह-तरह की सुविधाएं इत्यादि के अलावा आधुनिक शिक्षा के चलते शहर में रहने वाले बच्चे काफी हद तक यौन अपराधों के प्रति जागरूक रहते हैं

सामाजिक संगठन भी इस ओर काम कर रहे हैं।,

ग्रामीण अंचल के बच्चे कई तरह की सुविधाओं से वंचित रहते हैं। जिसके चलते उन्हें इस तरह के अपराधों के बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं होती है, इस वजह से वे और उनकी टीम ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों पर विशेष ध्यान देते हैं

गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने में भी जुटीं-
अंकिता पाण्डेय शुक्ला

और उनकी मार्मिक चेतना की टीम केवल बाल अपराध रोकने तक सीमित नहीं है, बल्कि ये लोग गरीब, असहाय और विकलागों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा गरीबों के भोजन, कपड़े की व्यवस्था का जिम्मा भी पूरी टीम ने उठा रखा है।

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